Thursday 25 August 2016

Publish Date:Thu, 25 Aug 2016 

यार्ड से प्लेटफॉर्म पर ट्रेन प्लेस करने के लिए लोको पायलटों की खोज करने के झंझट से मुक्ति मिलेगी। ट्रेन के आने से पहले ही प्लेस करने के लिए लोको पायलट तैनात रहेंगे।

मुजफ्फरपुर। यार्ड से प्लेटफॉर्म पर ट्रेन प्लेस करने के लिए लोको पायलटों की खोज करने के झंझट से मुक्ति मिलेगी। ट्रेन के आने से पहले ही प्लेस करने के लिए लोको पायलट तैनात रहेंगे। सोनपुर मंडल ने ट्रेनों की शटिंग करने के लिए 24 लोको पायलट को शंटर द्वितीय में प्रोन्नति कर सूची जारी कर दी है। इन कर्मियों को स्टेशन निर्धारित कर तैनाती कर दी गई है। जानकारी के अनुसार प्रोन्नति पाने वाले प्रवर सहायक लोको पायलट अभिषेक रंजन, सचिन कुमार, शोभा कुमारी, बिरबल कुमार राम, राम प्रमोद सिंह, बरौनी के प्रवर सहायक लोको पायलट संजीव कुमार, सर्देश सिंह, अजित कुमार, मणिकांत, शंकर सिंह, राजीव कुमार, सुजीत कुमार द्वितीय, सोनपुर के प्रवर सहायक लोको पायलट सदा कल्याण त्रिपाठी, पशुपति, शिवशंकर शर्मा, उदय कुमार सिंह, रंजन कुमार प्रथम शामिल है। सोनपुर मंडल के सहायक कार्मिक अधिकारी अनूप कुमार सिन्हा की मानें तो प्रवर सहायक लोको पायलट को लोको पायलट शंटर ग्रेड द्वितीय में प्रोन्नति कर लिस्ट जारी कर दिया गया है।

Monday 22 August 2016




एससीआर ऑपरेटिंग 213 ट्रेनों में हर रोज, ओएसडी रमेश बाबू कहते हैं


दक्षिण मध्य रेलवे (एससीआर), कृष्णा Pushkarams के लिए भक्तों के लिए प्रमुख परिवहन साधनों में से एक है, शहर के विभिन्न स्थलों से 213 गाड़ियों संचालन किया गया है।

विशेष कार्य अधिकारी (ओएसडी) एस रमेश बाबू ने यहां सोमवार को संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि कृष्णा Pushkaram में 13 लाख श्रद्धालुओं ने पिछले दो दिनों में ट्रेनों से यात्रा की अधिकारी ने कहा कि



विशेष संवाददाता


प्रियंक खड़गे , पर्यटन राज्य मंत्री और आईटी / बीटी, के बारे में 40 प्रतिशत की स्वर्ण रथ ट्रेन की ढुलाई प्रभार में वृद्धि करने के अपने प्रस्ताव को उल्टा करने के लिए रेल मंत्रालय से आग्रह किया है । सोमवार को यहां presspersons से बात करते हुए उन्होंने कहा कि वह रेलवे बोर्ड के चेयरमैन और नई दिल्ली में मंगलवार को रेल मंत्रालय के अन्य अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे और पर्यटन प्रवाह बढ़ रही है और कर्नाटक और अन्य दक्षिणी राज्यों के पर्यटन क्षमता दोहन के समग्र हित में प्रस्ताव रिवर्स करने के लिए उनसे आग्रह करता हूं ।

स्वर्ण रथ अब दो सर्किट पर चलाया जा रहा है -Karnataka और दक्षिण भारत सर्किट - और इस साल सरकार ने अक्टूबर में एक महीने के लिए स्वर्ण रथ काम और भी मैसूर में दशहरा के दौरान इसे संचालित करने का प्रस्ताव है , उन्होंने कहा।

उन्होंने कहा कि स्वर्ण रथ ट्रेन अपने मेहमानों और कर्मचारियों के लिए विशेष यात्राओं के आयोजन के लिए कंपनियों को देने की पेशकश की जाएगी और यह भी इस तरह के विवाह - ऑन-द- कदम के रूप में अन्य विशेष प्रयोजनों के लिए ट्रेन की पेशकश करते हैं ।

The HINDU / ANDHRA PRADESH


राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड, विशाखापत्तनम इस्पात संयंत्र के कॉर्पोरेट इकाई, उत्तर प्रदेश में रायबरेली में एक पहिया जाली संयंत्र की स्थापना के लिए, मेकॉन लिमिटेड, भारत सरकार का उद्यम लगे है परियोजना प्रबंधन सलाहकार के रूप में।
परियोजना के लिए एक रणनीतिक पहल और व्यापार विविधीकरण योजना के रूप में रायबरेली जिले में Lalgunj में लिया जाता है, आरआईएनएल के अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक पी मधुसूदन हिंदू को बताया गया है।
जाली पहिया संयंत्र देश में अपनी तरह का पहला होना कहा जाता है। यह रुपये का निवेश किया जाएगा। हाई स्पीड ट्रेनों के लिए प्रति वर्ष एक लाख पहियों की उत्पादन क्षमता के साथ 1,683 करोड़ रुपये रहा।
साइट लेवलिंग का काम पूरा हो चुका है और अन्य कार्य प्रगति पर हैं। परियोजना सितंबर, 2018 तक चालू होने की उम्मीद है।
एक समझौते पर 55,000 पहियों के एक आश्वासन दिया प्रारंभिक बंद ले जो उत्तरोत्तर 80,000 पहियों के लिए बढ़ जाएगा के लिए इस आशय का रेलवे के साथ हस्ताक्षर किए गए हैं।

50 एकड़ जमीन चिन्हित की
देश के लगभग 50 एकड़ जमीन जाली पहिया संयंत्र रेलवे कोच फैक्ट्री के लिए आसन्न के लिए रेलवे द्वारा निर्धारित किया गया है।
आरआईएनएल नए कॉस्टर अपने संयंत्र परिसर में स्थापित से 330-450 मिमी दौर के इनपुट सामग्री की आपूर्ति अपने Lalgunj संयंत्र में उच्च गति के पहियों का उत्पादन करने के लिए होगा।
विशाखापत्तनम इस्पात संयंत्र हाल ही में 12,500 करोड़ रुपये की लागत से 63 लाख टन करने के लिए विस्तार किया गया था। ब्लास्ट फर्नेस और अन्य इकाइयों के आधुनिकीकरण के आगे 2017-18 तक 73 लाख टन की क्षमता बढ़ाने के लिए 5,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से किया जा रहा है।
अब ध्यान 63 लाख टन विस्तार परियोजना के तहत जोड़ा इकाइयों को रैंप पर बना है। प्राथमिकता तकनीकी-आर्थिक मानकों में सुधार करने के लिए दिया जाता है ताकि के रूप में लागत को कम करने और बाजार के चौड़ा करने में अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए।
Translated.

नवनीत शरण/ नई दिल्ली

Updated Thu, 18 Aug 2016
Indian Railways Dream train Tejas will not run this year

भारत में भविष्य की रेल कैसी होगी इसके लिए अभी इंतजार करना पड़ेगा। रेलवे बोर्ड के अधिकारियों ने कपूरथला कोच फैक्ट्री में बने इस ट्रेन के मॉडल कोच को नकार दिया है। अब इसे फिर से तैयार करने का निर्देश दिया गया है। अब अगले साल फरवरी महीने में ही इस ट्रेन का नया कोच हो सकेगा तैयार। 
केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु की ड्रीम ट्रेन में शुमार तेजस ट्रेन को रेलवे बोर्ड के अधिकारियों ने खारिज कर दिया है। दरअसल, तैयार कोच रेलवे अधिकारियों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा था, लिहाजा इसे फिर से कोच फैक्ट्री के इंजीनियरों को तैयार करने को कहा गया है। अब इस ट्रेन का एक एसी चेयर क्लास वाला कोच अगले साल फरवरी महीने तक तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है। लिहाजा इस साल यह ट्रेन नहीं चल पाएगी।

रेलवे बोर्ड के अधिकारिक सूत्रों के अनुसार तेजस ट्रेन को चलाकर रेलवे यह दिखाने का प्रयास करेगा कि भारत में चलने वाली भविष्य की ट्रेन कैसी होगी। लेकिन कपूरथला कोच फैक्ट्री में तैयार कोच देखने में वह बिलकुल ही साधारण एलएचबी कोच की तरह था। यह ट्रेन पूरे तरीके से आधुनिक सुविधाओं वाली होगी, जिसमें पहली बार किसी ट्रेन को पूर्णत: स्वचालित गेट वाला बनना है। रंग-रोगन भी आकर्षक होगा। इसके शौचालय में गीले हाथ को सुखाने के लिए ड्रायर मशीन भी लगी होगी। एयरपोर्ट मेट्रो कोच की तरह डिजिटल डेस्टिनेशन बोर्ड लगा होगा, यानी इस बोर्ड में कितने किलोमीटर की रफ्तार से ट्रेन चल रही है, अगला स्टेशन कौन सा है, यात्रियों को जानकारी होती रहेगी। फायर एंड स्मोक डिटेक्शन सिस्टम से कोच लैस होगा।

बता दें कि केंद्रीय रेल मंत्री ने बजट भाषण में चार तरह की नई ट्रेन चलाने की घोषणा किए थे, जिसमें उदय, हमसफर, अंत्योदय और तेजस ट्रेन शामिल थीं।

Sunday 21 August 2016

अमर उजाला ब्यूरो/फैजाबाद
Updated Fri, 19 Aug 2016 

फैजाबाद में रेल ट्रैक के किनारे पड़ा लोडर।PC: अमर उजाला


शहर से सटे अबूसराय में ओवरब्रिज के नीचे रेल ट्रैक पर गुरुवार रात एक लोडर फंस गया। इसी दौरान नजदीक आ रही सियालदह एक्सप्रेस ने हॉर्न दिया, मगर लोडर टस से मस नहीं हुआ। इस पर लोको पायलट ने इमरजेंसी ब्रेक लगाया तो उसके तेज झटके से यात्री सहम उठे।

लेकिन ऐन वक्त पर पायलट की सूझबूझ से बड़ा हादसा टल गया। बाद में ट्रेन के यात्रियों ने खुद नीचे उतरकर लोडर को धक्का देकर ट्रैक साफ कराया। जम्मू से कोलकाता जा रही सियालदह डाउन एक्सप्रेस गुरुवार रात 9.35 बजे सलारपुर रेलवे स्टेशन से आगे बढ़ी।

पांच मिनट चलने के बाद चालक को अबूसराय फ्लाईओवर के पास ट्रैक पर लोडर खड़ा दिखा। हॉर्न बजाने के बाद लोडर नहीं हटा तो लोको पायलट ने इमरजेंसी ब्रेक लगाया। इससे ट्रेन में लगे तेज झटके से यात्रियों में कोहराम मच गया। लोग कूदकर हकीकत जानने के लिए इंजन की ओर दौड़े।

जबकि बच्चों के साथ महिलाएं नीचे उतरने को परेशान रहीं। लोको पायलट व गार्ड ने मामले की सूचना उच्चाधिकारियों को दी। तत्काल दो किमी. दूर मौके पर फैजाबाद जंक्शन से अधिकारियों का दल पहुंचा तो देखा कि ट्रैक पर लोडर फंसा हुआ है। मौके पर वाहन का चालक नहीं था।

अधिकारी क्रेन मंगाने का बंदोबस्त कर रहे थे, तभी गुस्साए यात्रियों ने खुद ही लोडर को ट्रैक से बाहर धकेल दिया। बाद में सूचना पर आरपीएफ के एसआई मौके पर पहुंचे और लोडर को क्रेन से उठवाकर आरपीएफ पोस्ट पर ले गए। मामले में रिपोर्ट दर्ज कर ली गई है। लोडर अयोध्या के तुलसीनगर निवासी विद्याभूषण पांडेय का बताया जा रहा है।

Sunday 7 August 2016

जमशेदपुर, संवाददाताFirst Published:31-07-2016




ट्रेन चालकों और गार्ड के रनिंग अलाउंस में किसी तरह की कटौती नहीं होगी। केंद्र सरकार ने गजट जारी कर यह घोषणा की है। दक्षिण-पूर्व जोन ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन के महामंत्री पारस कुमार ने टाटानगर में यह जानकारी दी। इससे टाटानगर व आदित्यपुर समेत दक्षिण-पूर्व जोन के चार मंडलों (चक्रधरपुर, रांची, आद्रा व खड़गपुर) के 61 सौ से अधिक ट्रेन चालकों को राहत मिलेगी।

मई से चल रहा था आंदोलन 
ट्रेन चालक रनिंग अलाउंस में कटौती की आशंका पर मई से आक्रोशित थे। रेलवे बोर्ड ने इस मुद्दे पर इंपावर कमेटी का गठन कर 5 अगस्त तक रिपोर्ट मांगी थी। इससे नाराज ट्रेन चालक देशभर में धरना-प्रदर्शन करने के साथ ही केंद्र सरकार को एसएमएस व पत्र भेजकर भी विरोध जता रहे थे।

Wednesday 20 July 2016

नई दिल्ली. मुंबई और अहमदाबाद के बीच चलने वाली पहली बुलेट ट्रेन में सफर करने के लिए पैसेंजर्स को प्लेन से कम किराया देना होगा। ये जानकारी रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने लोकसभा में प्रश्‍न काल के दौरान दी। इस हाईस्पीड ट्रेन से 508 किलोमीटर की दूरी सिर्फ 2 घंटे में पूरी हो जाएगी। यह प्रोजेक्ट 6 साल में.पूरा कर लिया जाएगा। जापान देगा प्रोजेक्ट की 81% रकम... 

प्लेन का नॉर्मल किराया 1600 से 2000 रुपए... 

बता दें कि मुंबई से अहमदाबाद के बीच प्लेन का नॉर्मल किराया 1600 से 2000 रुपए के बीच है। ऐसे में बुलेट ट्रेन का मिनिमम किराया भी 2000 रुपए के आस पास तय किया जा सकता है।

- बुलेट ट्रेन प्रोजेक्‍ट की अनुमानित लागत 97,636 करोड़ रुपए है।

- भारत को 81 फीसदी रकम जापान से लोन के रूप में प्राप्‍त होगी।

- बुलेट ट्रेन की मैक्सिमम स्पीड 350 किलोमीटर प्रति घंटे होगी, जबकि इसकी ऑपरेटिंग स्पीड 320 kmph होगी।... 

- बता दें कि मौजूदा समय में मुंबई-अहमदाबाद रूट पर दुुरंतो को 508 किलोमीटर तय करने में 7 घंटे लगते हैं।... 

-गतिमान एक्सप्रेस की अधिकतम रफ्तार 160 किलोमीटर प्रति घंटा है, जो वर्तमान में देश में चलने वाली सबसे तेज ट्रेन है।... 

50 साल के लिए जापान से मिलेगा लोन

- इस प्रोजेक्‍ट के लिए जापान 0.1 फीसदी सालाना इंटरेस्ट रेट पर 50 साल के लिए लोन देगा। 

- लोन एग्रीमेंट के तहत रोलिंग स्‍टॉक और अन्‍य उपकरण जैसे सिग्‍नल और पावर सिस्‍टम का जापान से इम्पोर्ट किया जाएगा।

- लोन एग्रीमेंट पर इस साल के अंत तक साइन हो सकते है।... 

सरकार 200 करोड़ सेंक्शन कर चुकी है

- सरकार अब तक बुलेट ट्रेन प्रोजेक्‍ट में 200 करोड़ रुपए सेंक्शन चुकी है। - प्रभु ने इसके पहले भी भारत के अन्‍य मेट्रो सिटीज को भी हाईस्‍पीड रेल नेटवर्क से जोड़ने की बात कही थी । 

21 किलोमीटर अंडर वाटर टनल... 

जैपनीज इंटरनेशनल कॉर्पोरेशन एजेंसी (जेआइसीए) ने बुलेट ट्रेन की प्रोजेक्‍ट रिपोर्ट भारत को सौंप चुकी है। - रिपोर्ट के मुताबिक, 508 किलोमीटर के इस रूट के बीच 21 किलोमीटर की.अंडर वाटर टनल भी बनाई जाएगी। इस ट्रैक का अधिकतर हिस्‍सा एलीवेटेड होगा।... 

Saturday 18 June 2016

नवनीत शरण, अमर उजाला/नई दिल्ली

Updated 11:01 मंगलवार, 7 जून 2016
Kashmir rail link project cost was hiked

कश्मीर रेलवेPC: PTI

राष्ट्रीय महत्व की महत्वपूर्ण योजनाओं में शुमार कश्मीर तक रेल संपर्क अभी तक अधूरा ही है। इसके लिए बनी उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक ( यूएसबीआरएल) परियोजना की लागत 1500 करोड़ रुपये से बढ़ कर 20 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच चुकी है।  

आजादी के बाद रेलवे की सबसे चुनौतीपूर्ण योजना में शुमार यूएसबीआरएल प्रोजेक्ट अब तक लटका हुआ है। इसके तहत कटड़ा-काजीगुंड खंड को अभी पूरा किया जाना है। इस सेक्शन में काजीगुंड से बनिहाल तक तो प्रोजेक्ट पूरा कर लिया गया है, लेकिन, कटड़ा-बनिहाल तक 110 किलोमीटर की पट्टी अभी तक अधूरी है।

इसे 2007 में ही पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था। संशोधित तिथि दिसंबर 2017 रखी गई थी जो अब बढ़कर 2020 हो गई है। इस पूरे प्रोजेक्ट को लेकर संसदीय लोक लेखा समिति ने कड़ी आपत्ति भी दर्ज की है।

नवनीत शरण/ अमर उजाला, नई दिल्ली

Updated 04:06 मंगलवार, 24 मई 2016
 केंद्र में राजग शासनकाल के दो साल पूरे होने वाले हैं। सरकार के सभी मंत्रालय अपनी-अपनी उपलब्धियां गिना रहे हैं। रेल मंत्रालय भी अपनी उपलब्धियां गिनाने में पीछे नहीं है। लेकिन रेल यात्री अभी भी कन्फर्म बर्थ नहीं मिलने, पैसेंजर ट्रेन में खड़े होकर सफर करने, खिड़की पर टिकट लेने की जद्दोजहद और जान हथेली पर रखकर यात्रा करने को मजबूर दिखाई पड़ते हैं। इस मामले में यात्री अभी भी अपने को ठगा महसूस करते हैं। हालांकि सफाई व्यवस्था, सोशल नेटवर्किंग साइट से परेशानी दूर होने, अपनी शिकायत दर्ज कराने के लिए मिले प्लेटफार्म, स्टेशनों पर वाई-फाई की सुविधा मिलने से खुश भी है।

यह परेशानी नहीं हुईं कम
कन्फर्म बर्थ आज भी परेशानी का सबब
रेलवे बजट की ज्यादातर घोषणाओं पर अमल तो शुरू हो गया है, लेकिन ट्रेनों में आम आदमी की समस्या कम नहीं हुई। मांग के अनुसार आरक्षित टिकट नहीं मिलना सबसे बड़ी परेशानी है। रेलवे का विजन 2020 तक आम आदमी के लंबे समय से चली आ रही आशा को पूरा करना है, जिसमें ट्रेनों में आरक्षित जगह मांग पर उपलब्ध कराना मुख्य है। तत्काल कोटा से भी यात्रियों को राहत नहीं मिली है।

ट्रेनों की सुस्त रफ्तार
बुलेट व सेमी हाई स्पीड ट्रेन की योजना ने गति तो पकड़ी लेकिन ट्रैक पर अभी भी ट्रेन रफ्तार नहीं पकड़ सकी। रेलवे का यह भी कहना है कि डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का निर्माण, जो 2019 तक होना है, इससे ट्रेनें समय पर चलने लगेगी। क्योंकि माल गाड़ी इस कॉरिडोर के निर्माण के बाद अलग पटरियों पर चली जाएंगी। रेलवे की इस लंबी योजना को लेकर जन प्रतिनिधि व सांसद से अपने-अपने क्षेत्र की जनता सवाल पूछ रही है। लोकल ट्रेन की रफ्तार के सुस्त होने के कारण भी यात्री परेशान रहते हैं।

नवनीत शरण/अमर उजाला,नई दिल्ली

Updated 02:52 बुधवार, 15 जून 2016
special electrical multiple unit train
अब ना केवल लंबी दूरी बल्कि कम दूरी की ट्रेनें भी सुविधायुक्त होंगी। कम दूरी की ट्रेनों में भी आप आराम से लेट कर यात्रा कर सकेंगे। बैठने के लिए भी शताब्दी ट्रेन की तरह ही चेयर कार की सुविधा होगी। 

रेलवे मंत्रालय ने आधुनिक इलेक्ट्रिकल मल्टीपल यूनिट (ईएमयू) ट्रेन चलाने की योजना बनाई है।

नयी ईएमयू ट्रेन को आरामदायक सफर कराने के लिहाज से तैयार किया जा रहा है। कम दूरी की इस ट्रेन में थकान महसूस नहीं हो इसके लिए स्पेशल कोच की डिजाइन की जा रही है। आम तौर पर लंबी दूरी  की ट्रेन में ही स्लीपर कोच होते है, लेकिन नये ईएमयू ट्रेन में भी स्लीपर कोच जैसा ही तैयार किया जाएगा। इतना ही शताब्दी ट्रेन की तर्ज पर चेयर कार वाले कोच भी तैयार होंगे।

रेलवे का दावा है कि इन ट्रेन सेटो से यात्रा समय में कमी आएगी और इनका यात्रा अनुभव भी बेहतर होगा। रेलवे मंत्रालय के अधिकारिक सूत्रों के अनुसार जल्द ही 15 ऐसी ट्रेनें अति व्यस्त रूटों पर चला कर पॉयलट प्रोजेक्ट शुरू किया जाएगा।

कम दूरी की ट्रेन जिसे हर दस मिनट पर एक हॉल्ट या स्टेशन पर रूकती है, इस तरह की रूट पर ईएमयू ट्रेन चलाना फायदेमंद होगा क्योंकि यह ट्रेन तुरंत रफ्तार पकड़ लेते है। जबकि लोको को 100 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार पकडने के लिए 6 मिनट तक का वक्त लग जाते है।

ईएमयू ट्रेन चलने से औसत रफ्तार के साथ ट्रेन चलाई जा सकती है। जबकि पैसेंजर ट्रेन की बात करें तो इसकी औसत स्पीड  30 किलोमीटर प्रतिघंटे ही होती है। स्पीड बढ़ाने के लिए रेलवे कई पैसेंजर ट्रेन को मेनलाइन इलेक्ट्रिकल मल्टीपल यूनिट (मेमू) में भी बदल रहा है। अभी तक आधा दर्जन लोको ट्रेन को मेमू में बदला गया है।

रेलवे अधकिकारियों के अनुसार  नई दिल्ली-लखनऊ-इलाहाबाद-वाराणी, कानपुर-गाजियाबाद के बीच इनमें से कुछ ट्रेनें चलाई जाएंगी। इस रूट पर सबसे अधिक ट्रैफिक जाम की समस्या रहती है। 

टीम डिजिटल/ अमर उजाला, दिल्ली

Updated 17:05 शुक्रवार, 17 जून 2016
Student who wins prize for designing waterless, odourless loo for railways
आप सुहाने सफर पर निकलें और ट्रेन में घुसते ही टॉयलेट से आती बदबू का प्रहार झेलना पड़े तो सारा मजा किरकिरा हो जाता है। भारतीय रेल की अच्छे से अच्छी गाड़ियों में टॉयलेट की समस्या आम है। ऐसे में दुनिया के सबसे बड़े रेलवे नेटवर्क के लिए एक छात्र का डिजाइन सौगात लेकर आया है। विनोद एंथनी थॉमस मनीपाल विश्वविद्यालय के छात्र है। रेलवे के लिए विनोद का बनाया पानी और बदबू रहित शौचालय रेलवे को भा गया है।

Saturday 9 April 2016

By Shashank Rao |Posted 08-Apr-2016



While officials say the money will go towards drought relief, activists slam move to monetise farewell ride on Kurla-CST DC train on Saturday night
This weekend, Central Railway will chuck its obsolete DC trains and ride the gravy train instead. As the Harbour line finally bids goodbye (and good riddance) to its 1,500-volt Direct Current (DC) system, you can witness the end of an era that had begun on this very line in 1925. For the princely sum of Rs 10,000, that is.
CR may be notorious for inconveniencing commuters with slow service and repeated technical failures, but let none say it missed an opportunity to spin some money. As the last old 9-car DC train rolls out of service on Saturday night, the authorities will allow rail fans and other interested citizens to be part of the historic moment for a cool Rs 10,000 per ticket. This will not only cover the fare for the midnight journey on the rickety rake, but will also allow the joyriders to sit in the comfort of the ticket counter (called Star Chamber) and watch a live screening of the conversion to 25,000-volt Alternating Current (AC) system over the course of the night.
DC trains like this one will no longer ply after the Harbour line converts to the AC system this weekend. The last 9-car train to run on Saturday night will be preserved by CR. File pic
DC trains like this one will no longer ply after the Harbour line converts to the AC system this weekend. The last 9-car train to run on Saturday night will be preserved by CR. File pic
The last DC local will depart from Kurla at 11.30 pm and will end its run at Chhatrapati Shivaji Terminus (CST) at 12.15 am. Over the intervening night, the Harbour line’s electrical system will be converted to the AC system — the last one to do so in all of India. Sources said those who buy the tickets will also be allowed to flag off the first train to run on the new system at 6 am, Sunday.
Song and dance
“People can board this last train anywhere between Kurla and CST. We have also called for music bands that will play at the railway stations,” said SK Sood, CR’s general manager. These bands will play at Kurla, Chunabhatti, GTB Nagar, Wadala, Sewri, Cotton Green, Reay Road, Dockyard, Sandhurst, Masjid and CST. The sale of tickets is being handled by JJ School of Arts.
However, passenger associations are miffed by this decision. “The railways are making this into pure business, which is totally wrong. It is an eventful night and instead of selling tickets at such high rates, they should allow the thousands of people who might want to bid farewell to the last DC rake system in India,” said Subhash Gupta, president of Rail Yatri Parishad, and member of the Zonal Rail Users Consultative Committee (ZRUCC).
“Everyone should be allowed to see it for free, if they are interested. This is a foolish decision and railways are trying to make business out of anything and everything. Not everything should be charged,” said Madhu Kotian, president of Mumbai Rail Pravasi Sangh and ZRUCC member.
CR chief Sood, however, said the ticket collections will go to help drought-affected areas in Maharashtra.
Betterment ahead
The DC system took birth on February 3, 1925, on the Harbour line itself, and it is here that it will end its run. This will open up greater scope for the improvement of services to cater to the 12 lakh commuters on the Harbour and Trans-Harbour lines. CR is in the process of demanding four rakes each for the two sections, which would drastically boost its carrying capacity. There are 20 rakes available for CR and WR, which need to write in their demand and send it to the Railway Board.
Sources said that CR will ask for four rakes on Harbour line and four on the Trans-harbour very soon. Each rake will carry out 12-15 services per day, which would result in more services between CST-Panvel and Thane-Panvel. “We are currently making plans for the same and working out the precise routes where these rakes are needed,” said a CR official.
At present there are 10 lakh people who use the Harbour line and another 2 lakh on the Trans-harbour line every day. With the proposed Navi Mumbai airport coming up, there is a need to improve and increase the train services. However, CR and MRVC, have been unable to maintain their deadline for the conversion from 9 cars to 12-car services between CST-Panvel. Sources said they have now realised that the number of coaches are more than sufficient for this purpose, but their targets for parking these rakes haven’t been met. If additional parking lines, stabling lines and work on platforms are not all completed by April, then there could be lot of issues ahead.
Making history
>> All nine coaches of the DC rake will be preserved by the railways and locations have been identified
>> They will be parked at P D’Mello road siding at CST, Wadi Bunder, Thane and the National Rail Museum in Delhi
>> Rail fans participating in the event after paying R10,000 can avail of models of these DC coaches at a token price
>> Video recording shall be done of the entire power upgradation that will be played inside the preserved DC coaches for the next 10 years
11.30 pm
The time at which the last DC local will depart from Kurla on Saturday night, arriving at CST at 12.15 am

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