Sunday 11 February 2018

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*जिस प्वांईट को ठीक करने भेजा उसी से गुजार दी स्टेशन मास्टर ने राजधानी, दो कर्मचारियों की मौत,शवों के ऊपर से गुजरीं 19 ट्रेनें*

Sunday, 11 Feb, 1.37 am

बीना। मानवता की सारी हदों को तारतार करते हुये कुरवाई कैथोरा स्टेशन के डिप्टी एस एस शैलेन्द्र यादव ने रेलवे को एक बार फिर शर्मसार कर दिया। पहले उसी ट्रैक पर राजधानी को सिगनल दे दिया, जिसका प्वाईंट ठीक करने को उसने दो कर्मचारियों को भेजा था फिर दोनों कर्मचारियों की मौत के बाद उसी ट्रैक से 19 ट्रेनें गुजारीं। जबकि उसे अच्दी तरह से पता था कि कर्मचारी का शव ट्रैक पर पड़ा हुआ है। जहां तक नियम की बात है तो उसने कुछ गलत नहीं किया क्योंकि रेलवे में प्रचलित नियम के अनुसार ट्रैक पर शव पड़ा होने की स्थिति मे स्टेशन मास्टर कॉशन आर्डर लगाकर गाड़ी पास करता है। कॉशन आर्डर पर केवल 'लुक आऊट एण्ड प्रोसिड' लिखकर गाड़ी चलवाईं जाती हैं।
लेकिन वह चाहता तो उस ट्रैक से गाड़ी पास करने से बच सकता था। सूत्रों का कहना है कि प्वाईंट ठीक करने गये कर्मचारियों को उसने किसी भी प्रकार का कोई लिखित मेमो नहीं दिया था।
राजधानी एक्सप्रेस के चालक ने कुरवाई कैथोरा स्टेशन पर डिप्टी एसएस को बताया कि टे्रन की चपेट में दो व्यक्ति आ गये हैं सम्भवत: वह रेलवे कर्मचारी हो सकते हैं। उसके बाद घटनास्थल पर स्टेशन मास्टर ने दो कर्मचारियों को भेजा जिन्होनें बताया कि दो कर्मचारी रन ओवर हो गये है। दरअसल इन दोनों कर्मचारियों को स्टेशन मास्टर ने प्वांईट ठीक करने के लिये भेजा था। लेकिन बाद में मानवीय संवेदनाओं को दरकिनार करते हुए मृत कर्मचारी के ऊपर से 19 ट्रेनों को निकाला गया। रात्रि में हुई घटना के बाद कर्मचारियों के शवों को सुबह उठवाया गया।
घटना के विवरण के अनुसार कुरवाई कैथोरा स्टेशन पर मौजूद डिप्टी एसएस शैलेंद्र यादव ने ईएमएस संजय शर्मा (48) व प्वाइंट्स मैन मनोहरलाल पंथी (55) को पाइंट का फैल्युअर सुधारने भेज दिया। मौखिक आदेश पर दोनों कर्मचारी पाइंट पर पहुंचे और फैल्युअर सुधारने लगे। इसी बीच नई दिल्ली से चेन्नई की ओर जा रही ट्रेन क्रमांक 12434 राजधानी एक्सप्रेस का सिग्नल हुआ। डिप्टी एसएस ने सुपर फास्ट ट्रेन को उसी ट्रेक के लिए लाइन दे दी। जिस लाइन का फैल्युअर वह दोनों रेलवे कर्मचारी सुधार रहे थे। इससे दोनों कर्मचारी तेज गति से आती टे्रन के आगे सम्भल नहीं पाये और अपनी जान से हाथ धो बैठे।
घटना के बाद एक बार फिर साफ हो गया है कि फैलियर बचाने के लिये कर्मचारी किस तरह से शार्ट कट के नियमों को अपनाते हैं। यदि ईएसएम बिना मेमो के प्वाईंट अटैण्ड करने से मना कर देता तो शायद उसके साथ एक और कर्मचारी को अपनी जान से हाथ नहीं धोना पड़ता। मेमो लेने के बाद स्टेशन मास्टर उस लाईन से गाड़ी पास नहीं करने के लिये बाध्य हो जाता। हांलांकि इसके बाद गाड़ी को लूप लाईन से पास करना पड़ता और डिटेंशन किसी एक विभाग के खाते में जाती। इसी वजह से कर्मचारी बिना मेमो के काम करने में सुविधा महसूस करते हैं। लेकिन इसका क्या नतीजा होता है यह एक बार फिर सामने आ गया।
Dailyhunt.

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