अरविंद सिंह,नई दिल्लीUpdated: Mon, 09 Apr 2018 12:31 PM IST
भारतीय रेलवे की पूरी कोशिश है कि रेलगाड़ियां समय से चलें और उनकी मानक गति भी बरकरार रहे। रेलवे बोर्ड की कोशिश इस लक्ष्य को जल्द हासिल करने की है। रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष अश्वनी लोहानी से ‘हिन्दुस्तान’ के विशेष संवाददाता अरविंद सिंह ने रेलवे से जुड़े तमाम मुद्दों पर बातचीत की।
रेलवे में किन सुधारों पर आपका फोकस है?
यात्रियों की सुरक्षा, संरक्षा और ट्रेनें समय पर चलें, यह मेरी पहली प्राथमिकता है। ट्रेनों की रफ्तार के साथ सफर भी सुरक्षित हो, रेल यात्रियों खासकर महिलाओं की सुरक्षा के इंतजाम पुख्ता हों।
लेकिन ट्रेनें लगातार लेट चल रही हैं?
पिछले साल ट्रेनों के पटरी से उतरने की घटनाओं के बाद पटरियों की मरम्मत का कार्य तेज किया गया है। ट्रेनों का परिचालन रोके बगैर पटरियां ठीक की जा रही हैं। कुछ विलंब जरूर हो रहा है, लेकिन जल्दी यह कार्य पूरा हो जाएगा। 2019 के अंत या 2020 के शुरुआत से ट्रेनों की रफ्तार और समय पालन सौ फीसदी ठीक हो जाएगा। अभी भी यह 75 फीसदी के करीब है।
सेमी हाई स्पीड ट्रेनें कब तक पटरी पर दौड़ने लगेंगी ?
इसी साल सितंबर से तेज रफ्तार ट्रेनों का दौर शुरू हो जाएगा। सेमी हाई स्पीड ट्रेन सेट (टी-18) और ट्रेन सेट (टी-20) नई डिजाइन और आधुनिक तकनीक की लग्जरी ट्रेनें हैं। पहली टी-18 सितंबर में पटरी पर दौड़ने लगेगी। रूट तय नहीं है लेकिन शताब्दी के रूट पर चलाई जाएगी। इसमें प्रत्येक कोच में पावर जेनरेशन है। इसलिए ट्रेन सेट तेजी से रुकती और उतनी तेजी से रफ्तार पकड़ती है। पटरियों में बगैर कोई बदलाव किए इसे 160 से 200 किलोमीटर प्रतिघंटा दौड़ाया जा सकता है। टी-18 में सीटें होंगी जबकि टी-20 में बर्थ होंगी। दरवाजे आटोमैटिक होंगे। कोच की सीढ़ियां ऑटोमैटिक (स्लाइ¨डग स्टेप) आगे आकर प्लेटफार्म से सट जाएंगी। जिससे प्लेटफार्म व कोच के बीच का गैप पूरी तरह से समाप्त हो जाएगा।
तो क्या पुराने दौर की ट्रेनें हट जाएंगी ?
राजधानी, शताब्दी, दुरंतो आदि प्रीमियम ट्रेनों में आधुनिक एलएचबी कोच लग रहे हैं। संरक्षा और रफ्तार के मामले में एलएचबी कोच पूरी तरह खरे हैं। हां, मेल-एक्सप्रेस व पैसेंजर ट्रेनों के पुराने कोच का निर्माण पूरी तरह से बंद किया जा रहा है। यात्री ट्रेनों में सिर्फ एलएचबी कोच लगाए जाएंगे। पुराने कोचों को चरणबद्ध तरीके से चलन से बाहर कर दिया जाएगा।
सफर के दौरान खानपान से जुड़ी शिकायतें कम नहीं हो रही हैं?
नई नीति के तहत खाना बनाने और आपूर्ति का काम अलग-अलग किया जा रहा है। इससे कैटरिंग पर काबिज ठेकेदारों का दबदबा खत्म होगा। रेलवे 50 बेस किचन भी बना रहा है। कंबो मील का विकल्प भी दे रहे हैं। प्रीमियम ट्रेनों में फ्लैक्सी फेयर जारी रहेगा या हटेगा ?इसे तर्क संगत बनाया जाएगा। इसके लिए एक समिति गठित की गई है।
डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) कब पूरा होगा ?
इसे 2020 तक पूरा करेंगे। इसी नवंबर से 800 किलोमीटर में मालगाड़ियां चलने लगेंगी। सोननगर से मुगलसराय के बीच लगभग काम पूरा हो गया है और खुर्जा से भावपुर के बीच नवंबर 2018 तक परियोजना पूरी हो जाएगी