Sunday, 15 April 2018

IRCTC और OLA ने मिलाया हाथ, यात्रियों को मिलेगी ये बड़ी सुविधा, जानें

एजेंसी,नई दिल्लीUpdated: Wed, 21 Mar 2018 07:02 PM IST
इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कारपोरेशन लिमिटेड (आईआरसीटीसी) ने अपने प्लेटफार्म और ऐप पर कैब बुकिंग उपलब्ध कराने के लिए ओला के साथ करार किया है।
ओला ने यहां जारी बयान में कहा कि इसके तहत आईआरसीटीसी की वेबसाइट या ऐप पर अब ओला कैब की बुकिंग की जा सकेगी। इसके लिए दोनों कंपनियों ने मंगलवार को इच्छा पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं।
7 दिन पहले कर पाएंगे बुक
इसके माध्यम से यात्री ओला कैब के साथ ही ओला ऑटो और ओला शेयर आदि की बुकिंग कर सकेंगे। यात्री 7 दिन पहले या रेलवे स्टेशन पहुंचने पर कैब बुक कर सकेंगे। 
कैसे होगी कैब बुकिंग
कैब बुक करने के लिए यात्रियों को आईआरसीटीसी एप या वेबसाइट पर लॉगिन करना होगा। लोग इन करने के बाद सर्विस स्टेशन पर क्लिक करें। इसके बाद आपको बुक ए कैब का विकल्प दिखाई देगा। इस विकल्प का चयन कर के अपने हिसाब से कैब चुन सकते हैं। अपनी जरुरत के हिसाब से डिटेल भरने के बाद बुकिंग कन्फर्म कर दें।

इलाहाबाद: जानें क्यों 'हमसफर' यार्ड में और हजारों मुसाफिर वेटिंग में

इलाहाबाद। वरिष्ठ संवाददाताUpdated: Wed, 21 Mar 2018 04:23 PM IST
दिल्ली (आनंद विहार) के लिए इलाहाबाद से नई एसी ट्रेन हमसफर एक्सप्रेस चले तो मुसाफिरों की परेशानी दूर हो। ट्रेन पूरी तरह तैयार सूबेदारगंज में खड़ी है। सिर्फ चलने का इंतजार है। ट्राई वीकली ट्रेन चल जाए तो दिल्ली के मुसाफिरों को हफ्ते में छह दिन जंक्शन से चलने वाली दो ट्रेनें मिल जाएं। अभी हफ्ते में तीन दिन ही जंक्शन से चलने वाली दो ट्रेनें उपलबध हैं। ऐसे में यात्री वेटिंग टिकट पर सफर करने को मजबूर हैं।
दिल्ली के लिए जंक्शन से यूं तो 56 ट्रेनें हैं, लेकिन पीछे से आने वाली ट्रेनों में शहरियों को सीटें कम ही मिल पाती हैं। शिवगंगा, रीवांचल, मडुवाडीह एक्सप्रेस, ब्रह्मपुत्र मेल, महाबोधि, पूर्वा एक्सप्रेस आदि ट्रेनों में बड़ी संख्या में इलाहाबाद के लोग दिल्ली के लिए चढ़ते हैं। जंक्शन से चलने वाली सिर्फ एक ट्रेन प्रयागराज एक्सप्रेस ही रोजाना उपलब्ध है। हफ्ते में तीन दिन मंगलवार्, गुरुवार और रविवार को दूरंतो चलती है। 
सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को जंक्शन से एक ही ट्रेन चलने से प्रयागराज एक्सप्रेस और पीछे से आने वाली ट्रेनों में यात्री वेटिंग टिकट पर सफर को मजबूर हो रहे हैं। शुक्रवार को तो प्रयागराज में सीटों के लिए बड़ी मारामारी होती है। खासकर एसी कोचों में। इस दिन वीआईपी कोटे के लिए भी दबाव बहुत अधिक होता है। रेलवे ने इस परेशानी को देखते हुए ही ट्राईवीकली हमसफर एक्सपेस सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को चलाने का ऐलान किया। पर ट्रेन आकर डेढ़ माह से भी अधिक समय से सूबेदारगंज में ठहरी है। 
फरवरी में रोजाना 20 हजार से ज्यादा यात्री
बीते फरवरी महीने में जंक्शन से औसतन रोजाना 20 हजार से भी ज्यादा यात्री दिल्ली को निकले। रेलवे के रिजर्वेशन के आंकड़ों के अनुसार पहली से 28 फरवरी तक जंक्शन से दिल्ली के 5,77,284 यात्री निकले। शादियों का सीजन और होली का आगा होने से यात्री इस महीने में बढ़े रहे। दिल्ली के लिए जंक्शन से यूं भी रोजाना 12 से 15 हजार यात्री होते हैं। इनमें से तीन से चार हजार लोग वेटिंग टिकट लेकर सफर करने को मजबूर हैँ। 
पीएमओ से हरी झंडी मिलने का इंतजार
हमसफर एक्सप्रेस जनवरी अंत में ही आ चुकी है। 10 दिन में फिटनेस जांच के बाद ट्रेन चलने के लिए तैयार हो गई। अफसरों ने फरवरी में ही उद्घाटन समारोह कराने की तैयारी शुरू की लेकिन उपचुनाव की आचार संहिता लागू हो गई। जीएम ने बिना उद्घाटन ट्रेन चलाने का भरोसा दिया लेकिन रेल मंत्रालय से मंजूरी नहीं मिली। आचार संहिता खत्म होने के बाद भी ट्रेन नहीं चलने से यात्री परेशान हैं। नाम नहीं छापने की शर्त पर एक अफसर ने बताया कि पीएम दफ्तर से रेल मंत्रालय को मंजूरी मिलने पर ही ट्रेन चलाई जा सकेगी।
1296 सीटों की ट्रेन कम करेगी परेशानी
जंक्शन से हमसफर एक्सप्रेस चल जाए तो दिल्ली के यात्रियों को काफी राहत होगी। एसी थ्री के 16 कोच वाली ट्रेन में 1296 सीटें होंगी। इतनी सीटों से यात्रियों को बड़ी राहत मिल सकेगी। इस ट्रेन के थ्री एसी कोच दूसरी ट्रेनों की तुलना में ज्यादा आरामदायक हैं।

Friday, 13 April 2018

जानें, क्यों रेलवे बोर्ड चेयरमैन अश्विनी लोहानी के इस पत्र ने रेल अधिकारियों की नींद उड़ाई?

बरेली। हिन्दुस्तान संवादUpdated: Sun, 08 Apr 2018 02:05 PM IST
बरेली। रेलवे बोडे के चेयरमैन अश्विनी लोहानी के एक पत्र ने रेल अधिकारियों की नींद उड़ा दी है। लोहानी का कहना है कि अधिकारी छोटे कर्मचारियों की आवाज को दबाते हैं। अक्सर निरीक्षण के समय यह देखा जाता है। अगर कर्मचारी कुछ समस्या बताना चाहता है तो उसे संबंधित विभाग के अधिकारी धमका देते हैं। बाद में कर्मचारी को ऑफिस में बुलाकर प्रताड़ित किया जाता है। अब ऐसा नहीं चलेगा। अगर कर्मचारी निरीक्षण के समय कुछ बताना चाहता है तो उसकी बात को सुना जाए। अगर अधिकारी कर्मचारी को धमकाएंगे, तो ऐसे अधिकारियों को किसी हाल में नहीं छोड़ा जाएगा। मैं कार्रवाई के बाध्य हूंगा। 
चेयरमैन का पत्र सभी रेल मंडल प्रबंधकों और ब्रांच अधिकारियों को पत्र जारी करके निर्देश दिए हैं कि भविष्य में ऐसा न करें। कर्मचारियों और मेरे बीच पारस्परिक विचार-विमर्श में छेद करके चुपके से रेल को डुबाने का प्रयास न किया जाए। कर्मचारी ही रेल की रीढ़ हैं। मैं बिना रीढ़ की हड्डी वाले और अति दुर्बल अधिकारियों से घृणा करता हूं। जो अपनी लापरवाही छुपाने को कर्मचारियों की आवाज को दबाते हैं। 

2020 से ट्रेन न लेट होंगी और न धीमी चलेंगी : लोहानी

अरविंद सिंह,नई दिल्लीUpdated: Mon, 09 Apr 2018 12:31 PM IST
भारतीय रेलवे की पूरी कोशिश है कि रेलगाड़ियां समय से चलें और उनकी मानक गति भी बरकरार रहे। रेलवे बोर्ड की कोशिश इस लक्ष्य को जल्द हासिल करने की है। रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष अश्वनी लोहानी से ‘हिन्दुस्तान’ के विशेष संवाददाता अरविंद सिंह ने रेलवे से जुड़े तमाम मुद्दों पर बातचीत की।
रेलवे में किन सुधारों पर आपका फोकस है?
यात्रियों की सुरक्षा, संरक्षा और ट्रेनें समय पर चलें, यह मेरी पहली प्राथमिकता है। ट्रेनों की रफ्तार के साथ सफर भी सुरक्षित हो, रेल यात्रियों खासकर महिलाओं की सुरक्षा के इंतजाम पुख्ता हों।
लेकिन ट्रेनें लगातार लेट चल रही हैं?
पिछले साल ट्रेनों के पटरी से उतरने की घटनाओं के बाद पटरियों की मरम्मत का कार्य तेज किया गया है। ट्रेनों का परिचालन रोके बगैर पटरियां ठीक की जा रही हैं। कुछ विलंब जरूर हो रहा है, लेकिन जल्दी यह कार्य पूरा हो जाएगा। 2019 के अंत या 2020 के शुरुआत से ट्रेनों की रफ्तार और समय पालन सौ फीसदी ठीक हो जाएगा। अभी भी यह 75 फीसदी के करीब है।
सेमी हाई स्पीड ट्रेनें कब तक पटरी पर दौड़ने लगेंगी ?
इसी साल सितंबर से तेज रफ्तार ट्रेनों का दौर शुरू हो जाएगा। सेमी हाई स्पीड ट्रेन सेट (टी-18) और ट्रेन सेट (टी-20) नई डिजाइन और आधुनिक तकनीक की लग्जरी ट्रेनें हैं। पहली टी-18 सितंबर में पटरी पर दौड़ने लगेगी। रूट तय नहीं है लेकिन शताब्दी के रूट पर चलाई जाएगी। इसमें प्रत्येक कोच में पावर जेनरेशन है। इसलिए ट्रेन सेट तेजी से रुकती और उतनी तेजी से रफ्तार पकड़ती है। पटरियों में बगैर कोई बदलाव किए इसे 160 से 200 किलोमीटर प्रतिघंटा दौड़ाया जा सकता है। टी-18 में सीटें होंगी जबकि टी-20 में बर्थ होंगी। दरवाजे आटोमैटिक होंगे। कोच की सीढ़ियां ऑटोमैटिक (स्लाइ¨डग स्टेप) आगे आकर प्लेटफार्म से सट जाएंगी। जिससे प्लेटफार्म व कोच के बीच का गैप पूरी तरह से समाप्त हो जाएगा।
तो क्या पुराने दौर की ट्रेनें हट जाएंगी ?
राजधानी, शताब्दी, दुरंतो आदि प्रीमियम ट्रेनों में आधुनिक एलएचबी कोच लग रहे हैं। संरक्षा और रफ्तार के मामले में एलएचबी कोच पूरी तरह खरे हैं। हां, मेल-एक्सप्रेस व पैसेंजर ट्रेनों के पुराने कोच का निर्माण पूरी तरह से बंद किया जा रहा है। यात्री ट्रेनों में सिर्फ एलएचबी कोच लगाए जाएंगे। पुराने कोचों को चरणबद्ध तरीके से चलन से बाहर कर दिया जाएगा।
सफर के दौरान खानपान से जुड़ी शिकायतें कम नहीं हो रही हैं?
नई नीति के तहत खाना बनाने और आपूर्ति का काम अलग-अलग किया जा रहा है। इससे कैटरिंग पर काबिज ठेकेदारों का दबदबा खत्म होगा। रेलवे 50 बेस किचन भी बना रहा है। कंबो मील का विकल्प भी दे रहे हैं। प्रीमियम ट्रेनों में फ्लैक्सी फेयर जारी रहेगा या हटेगा ?इसे तर्क संगत बनाया जाएगा। इसके लिए एक समिति गठित की गई है।
डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) कब पूरा होगा ?
इसे 2020 तक पूरा करेंगे। इसी नवंबर से 800 किलोमीटर में मालगाड़ियां चलने लगेंगी। सोननगर से मुगलसराय के बीच लगभग काम पूरा हो गया है और खुर्जा से भावपुर के बीच नवंबर 2018 तक परियोजना पूरी हो जाएगी

Sunday, 11 February 2018

https://m.dailyhunt.in/news/india/hindi/railwarta-epaper-railw/relave+aspatalo+ka+kala+sach+phir+aaya+samane+vasuli+karata+doktar+giraphtar-newsid-81092900?ss=cp&s=pa
*जिस प्वांईट को ठीक करने भेजा उसी से गुजार दी स्टेशन मास्टर ने राजधानी, दो कर्मचारियों की मौत,शवों के ऊपर से गुजरीं 19 ट्रेनें*

Sunday, 11 Feb, 1.37 am

बीना। मानवता की सारी हदों को तारतार करते हुये कुरवाई कैथोरा स्टेशन के डिप्टी एस एस शैलेन्द्र यादव ने रेलवे को एक बार फिर शर्मसार कर दिया। पहले उसी ट्रैक पर राजधानी को सिगनल दे दिया, जिसका प्वाईंट ठीक करने को उसने दो कर्मचारियों को भेजा था फिर दोनों कर्मचारियों की मौत के बाद उसी ट्रैक से 19 ट्रेनें गुजारीं। जबकि उसे अच्दी तरह से पता था कि कर्मचारी का शव ट्रैक पर पड़ा हुआ है। जहां तक नियम की बात है तो उसने कुछ गलत नहीं किया क्योंकि रेलवे में प्रचलित नियम के अनुसार ट्रैक पर शव पड़ा होने की स्थिति मे स्टेशन मास्टर कॉशन आर्डर लगाकर गाड़ी पास करता है। कॉशन आर्डर पर केवल 'लुक आऊट एण्ड प्रोसिड' लिखकर गाड़ी चलवाईं जाती हैं।
लेकिन वह चाहता तो उस ट्रैक से गाड़ी पास करने से बच सकता था। सूत्रों का कहना है कि प्वाईंट ठीक करने गये कर्मचारियों को उसने किसी भी प्रकार का कोई लिखित मेमो नहीं दिया था।
राजधानी एक्सप्रेस के चालक ने कुरवाई कैथोरा स्टेशन पर डिप्टी एसएस को बताया कि टे्रन की चपेट में दो व्यक्ति आ गये हैं सम्भवत: वह रेलवे कर्मचारी हो सकते हैं। उसके बाद घटनास्थल पर स्टेशन मास्टर ने दो कर्मचारियों को भेजा जिन्होनें बताया कि दो कर्मचारी रन ओवर हो गये है। दरअसल इन दोनों कर्मचारियों को स्टेशन मास्टर ने प्वांईट ठीक करने के लिये भेजा था। लेकिन बाद में मानवीय संवेदनाओं को दरकिनार करते हुए मृत कर्मचारी के ऊपर से 19 ट्रेनों को निकाला गया। रात्रि में हुई घटना के बाद कर्मचारियों के शवों को सुबह उठवाया गया।
घटना के विवरण के अनुसार कुरवाई कैथोरा स्टेशन पर मौजूद डिप्टी एसएस शैलेंद्र यादव ने ईएमएस संजय शर्मा (48) व प्वाइंट्स मैन मनोहरलाल पंथी (55) को पाइंट का फैल्युअर सुधारने भेज दिया। मौखिक आदेश पर दोनों कर्मचारी पाइंट पर पहुंचे और फैल्युअर सुधारने लगे। इसी बीच नई दिल्ली से चेन्नई की ओर जा रही ट्रेन क्रमांक 12434 राजधानी एक्सप्रेस का सिग्नल हुआ। डिप्टी एसएस ने सुपर फास्ट ट्रेन को उसी ट्रेक के लिए लाइन दे दी। जिस लाइन का फैल्युअर वह दोनों रेलवे कर्मचारी सुधार रहे थे। इससे दोनों कर्मचारी तेज गति से आती टे्रन के आगे सम्भल नहीं पाये और अपनी जान से हाथ धो बैठे।
घटना के बाद एक बार फिर साफ हो गया है कि फैलियर बचाने के लिये कर्मचारी किस तरह से शार्ट कट के नियमों को अपनाते हैं। यदि ईएसएम बिना मेमो के प्वाईंट अटैण्ड करने से मना कर देता तो शायद उसके साथ एक और कर्मचारी को अपनी जान से हाथ नहीं धोना पड़ता। मेमो लेने के बाद स्टेशन मास्टर उस लाईन से गाड़ी पास नहीं करने के लिये बाध्य हो जाता। हांलांकि इसके बाद गाड़ी को लूप लाईन से पास करना पड़ता और डिटेंशन किसी एक विभाग के खाते में जाती। इसी वजह से कर्मचारी बिना मेमो के काम करने में सुविधा महसूस करते हैं। लेकिन इसका क्या नतीजा होता है यह एक बार फिर सामने आ गया।
Dailyhunt.

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